उन्हें खेद था कि,
जिनके तलवे उन्होंने चाटे,
उनके तलवे में छेद था.
लेकिन जब तक
उस छेद का पत्ता ,
उन्हें नहीं था,
वह तलवा उनके लिए,
अनमोल था.
वे कहते हैं कि
आज झूठ से ही ,
सब कुछ संभव है.
नहीं तो कृष्ण भी ,
महाभारत में कौरवों से ,
झूठ नहीं बोलते.
कहीं न कहीं उसने ,
कृष्ण की तरह ही ,
उस छेद को छिपाकर ,
अपने आगे दुनिया को,
नतमस्तक करना चाहा .
लेकिन उसे कहाँ पता था कि
झूठ कि बुनियाद पर बनी बातें ,
बहुत आगे तक नहीं जातीं.
जैसे ही तलवे की छेद की बात,
सबके सामने आई,
सभी को नतमस्तक करने वाला,
खुद सभी के सामने नतमस्तक हो गया.
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