बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

रसोईघर

हर घर की तरह मेरे घर में भी
एक रसोईघर है
ऐसा घर जो घर को पूर्ण बनाता है
शादी के बाद मुझे इस घर
के महत्व का पता चला
पत्नी के कामकाजी होने के कारण
जब मै सुबह -सुबह उस घर में जाता
तो मैं यही सोचता की किस तरह
एक औरत दिन भर उस घर में रहकर
चाहे अनचाहे दिन भर काम करती है
खाना बनते समय वह हमेशा यही
सोचती है की खाना स्वादिस्ट बने
जिसे वह अपने घरवाले के समक्ष
प्रसन्नता से परोस सके ।
लेकिन जब उसका घरवाला कुछ
नही बोलता तो वह सोचती
जरूर कोई कमी रह गई है
और वह रसोईघर में जाकर
अपने काम में लग जाती
और मन ही मन कहती की
अगली बार जरूर प्रसंशा लूंगी