शादी का मंडप सजा हुआ था
द्वार पूजा होने वाली थी
दूल्हा घोडे पर बैठा मुस्करा रहा था
और
उसके दोस्त बाजे की ताल
के साथ नाच रहे थे
चारो तरफ ख़ुशी का माहोल था
लेकिन
इस ख़ुशी के माहोल के बीच
एक की आखें गमगीन थी
उसे पता था की आज उसकी लड़की
किसी और की हो जायेगी
फिर उसने मन ही मन सोचा की
हर बाप अपनी बेटी को विदा करता है
इसमें उदास होने की क्या बात है
लेकिन उसकी आँखें कुछ और बता रही थीं
उसकी बेटी प्रेम विवाह कर रही थी
वह भी ऐसे लड़के के साथ
जो शराबी और कबाबी है
लेकिन वह अपनी बेटी के जिद
के आगे मजबूर है क्योकि
वह उसकी एकलोती बेटी है
और इस चाह के आगे वह आपनी
चाहत को मार रहा है