आँखें नम है पर,
दिल में आक्रोश है.
आक्रोश वैसे लोगों से जो,
अपने भारत को कुभारत,
बनाने पर तुले हुए हैं.
इस कुभारत में सरेआम,
बहू-बेटियों की इज्ज्त से,
खिलवाड़ होता है.
जहां आखों के सामने,
एक मासूम लड़की से,
सामूहिक दुष्कर्म होता है.
बेटी के घर से बाहर निकलते ही,
माँ बेचैन हो जाती है
माँ को लगता है कि बेटी,
घर वापिस आएगी या नहीं
लेकिन दरिंदे रसूख और पैसों,
की आड़ में कानून को ठेंगा दिखाकर
सरेआम घुमते हुए नजर आते हैं
जब इन दरिंदों के खिलाफ,
आम आदमी एकजूट होकर,
राजपथ पर प्रदर्शन करते हैं.
तो रक्षा करने वाली पुलिस ही,
आम आदमी पर पानी की बाछौर,
और आँसू के गोले दागे जाते हैं.
उनका मानना है कि ऐसा करने से,
आम आदमी की अवाज दब जाएगी.
कब तक हमारे रहनुमा हमारी,
अवाज और इंसाफ को दबाते रहेंगे?
उन्हें शायद पता नहीं है कि,
जब यह आक्रोश जनाक्रोश बन जाएगी
तो सबकुछ बदल जाएगा........
शनिवार, 22 दिसंबर 2012
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