रविवार, 23 दिसंबर 2012

औरत


औरत
मैं बेटी हूँ,माँ हूँ, नानी हूँ,
और शायद दस साल बाद,
 परनानी भी बन जाऊँ.
लेकिन इन सबसे पहले,
मैं औरत हूँ.
ऐसी औरत जो लगातार,
 अभी तक जुल्म सहती रही,
 समाज ने अभी तक,
 उसे दोयम दर्जे मे रखा है.
 समाज के इन्हीं ठेकेदारों ने
अपने अनुसार औरत को
 कभी गांधारी,तो कभी सीता,
 कभी शूर्पणखा तो
 कभी पांचाली बनाया है.
 अनाचार और अत्याचार सहते-सहते
 हमने अपनी शक्ति को भुला डाला है.
 लेकिन अब बहुत हो चुका.
अब तो औरत द्रोपदी बनकर
 जालिमों और दरिंदों को,
 उनके अंजाम तक पहुँचाएगी.
 तभी वह अपने औरत,
 होने का हक
अदा कर पाएगी.

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

जो खानदानी रईस हैं, वो रखते हैं मिजाज़ नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है.
क्या आज इंडिया गेट पर आतंकवादी एकत्रित हुए है ? आज वहां रैपिड एक्शनफोर्स और पूरी दिल्ली पुलिस तैनात है| मुंबई के आजाद मैदान में जब प्रदर्शन होता है और कैसा होता है ये दुनिया जानती है , तब वहां कोई फोर्स क्यों नहीं गयी ? तब पुलिस का एक भी डंडा नहीं चला | आज एक लड़की की जिंदगी को नरक बनाने वालो को सरकार सख्त सजा देने में हिचक रही है , और मुंबई में देश के सम्मान को तार-तार करने वाले सख्स को खुला छोड़ दिया जाता है | लखनऊ ,इलाहाबाद , कानपूर और फैजाबाद में जो हुआ उस पर सरकार मौन है ,पुलिस दुबक करघर में बैठ जाती है | क्या आज देश में प्रलय आने वाली है?क्या आज देश में कोई हिंसात्मक घटना को ये मासूम लोग अंजाम देने वाले है ? नहीं ! इन लोगो का कसूर इतना है की ये इस देश में अन्याय के खिलाफ आवाज को बुलंद करने वाले है | इनका कसूर इतना है की ये आज देश भर से एकत्रित हो गए है , आज इनमे एकता दिख रही है जो सरकार पचा नहीं पा रही 

आक्रोश

आँखें नम है पर,

दिल में आक्रोश है.

आक्रोश वैसे लोगों से जो,

अपने भारत को कुभारत,

बनाने पर तुले हुए हैं.

इस कुभारत में सरेआम,

बहू-बेटियों की इज्ज्त से,

खिलवाड़ होता है.

जहां आखों के सामने,

एक मासूम लड़की से,

सामूहिक दुष्कर्म होता है.

बेटी के घर से बाहर निकलते ही,

माँ बेचैन हो जाती है

माँ को लगता है कि बेटी,

घर वापिस आएगी या नहीं

लेकिन दरिंदे रसूख और पैसों,

की आड़ में कानून को ठेंगा दिखाकर

सरेआम घुमते हुए नजर आते हैं

जब इन दरिंदों के खिलाफ,

आम आदमी एकजूट होकर,

राजपथ पर प्रदर्शन करते हैं.

तो रक्षा करने वाली पुलिस ही,

आम आदमी पर पानी की बाछौर,

और आँसू के गोले दागे जाते हैं.

उनका मानना है कि ऐसा करने से,

आम आदमी की अवाज दब जाएगी.

कब तक हमारे रहनुमा हमारी,

अवाज और इंसाफ को दबाते रहेंगे?

उन्हें शायद पता नहीं है कि,

जब यह आक्रोश जनाक्रोश बन जाएगी

तो सबकुछ बदल जाएगा........

सोमवार, 17 दिसंबर 2012


मित्रों ! यदि आप हमेशा खुश रहना चाहते हैं तो आपस में प्यार से रहें. क्योकि प्यार आत्मा की गहराईयों में सोए हुए सौंदर्य के संगीत को जगा देता है, हममें अजीब सी पवित्रता, नैतिक निष्ठा और प्रकाश भर देता है.इसीलिए मैं कहता हूँ कि समाज के सभी लोगों को आपसी वैमनस्य को छोड़्कर इस पवित्रता और निष्ठारूपी रथ पर सवार होकर आगे चलना चाहिए.सफल जीवन वहीं है जिसमें व्यक्ति व्यक्ति को देखकर मुँह ना छिपाए बल्कि प्रेम भाव से मिले और गले मिले.लेकिन आज के भागम भाग भरी जिन्दगी में सब कुछ है केवल प्रेम ही कम है तो क्यों न हम सब खुद इस रथ पर चढ़े और लोगों को भी इस रथ पर चढ़्ने के लिए कहें. मैं  दावे के साथ कह सकता हूँ कि जो भी इस रथ पर सवार होगा उससे सारे दुख और कष्ट कोसों दूर भाग जायेंगे है ना यह काम  की बात .आप सभी मुझसे जरूर सहमत होंगे.  

रविवार, 16 दिसंबर 2012

स्वप्न


उसके जीवन का स्वप्न,
उसकी यातना का स्त्रोत
बन गया क्योकिं
उसका स्वप्न हवा से भी,
तेज चल निकला
उस स्वप्न की पकड़न में,
वह बेसुध होकर
आगे बढ़ने लगा और,
छूटने लगे सारे रिश्ते-नाते.
वह अकेला बढ़ता गया
कई उचाँईयों को पाता हुआ
स्वप्न के अभिमान में मस्त,
वह इतना आगे निकल पड़ा,
कि पीछे आना मुश्किल था.
उस उचाँई से गिरने पर
संभलना मुश्किल था
लेकिन जिस तरह हर
स्वप्न हकीकत नहीं होती.
उसी तरह जब वह अपने,
स्वप्नरूपी महल से नीचे गिरा.
तो मुँह से केवल आह निकली,
लेकिन उस आह को सुननेवाला,
उसका कोई अपना न था.

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

झूठ



उन्हें खेद था कि,
 जिनके तलवे उन्होंने चाटे,
 उनके तलवे में छेद था.
लेकिन जब तक
 उस छेद का पत्ता ,
उन्हें नहीं था,
 वह तलवा उनके लिए,
 अनमोल था.
 वे कहते हैं कि
आज झूठ  से ही ,
सब कुछ संभव है.
 नहीं तो कृष्ण भी ,
महाभारत में कौरवों से ,
 झूठ नहीं बोलते.
 कहीं न कहीं उसने ,
 कृष्ण की तरह ही ,
उस छेद को छिपाकर ,
अपने आगे दुनिया को,
 नतमस्तक करना चाहा .
लेकिन उसे कहाँ पता था कि
 झूठ कि बुनियाद पर बनी बातें ,
बहुत आगे तक नहीं जातीं.
 जैसे ही तलवे की छेद की बात,
 सबके सामने आई,
सभी को नतमस्तक करने वाला,
 खुद सभी के सामने नतमस्तक हो गया.

बुधवार, 25 जनवरी 2012

26 जनवरी का इतिहास


जब 15 अगस्त,1947 को भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली तब हमारे देश का कोई अपना संविधान नहीं था.अपना संविधान ना होने के कारण हम अपनी प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था का कार्य अंग्रेजों द्वारा संचालित नीतियों के अनुसार ही करते थे. प्रशासनिक रूप से हम 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र हुए.इसी कारण से भारतीय इतिहास में 26 जनवरी 1950 का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है.इस दिन भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने भारत को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया था.यह दिन भारत के लिए ऐतिहासिक हैं,क्योंकि इस दिन हमारे देश को पहली बार संप्रभु ,धर्म-निरपेक्ष , लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोषित किया गया था.तब से लगातार इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाया जाता है. 26 जनवरी 1950 को हमें भारत का संविधान और भारत का प्रथम राष्ट्रपति भी मिला था.सच कहा जाय तो वास्तव में हमें अंग्रेजों से आजादी भी इसी दिन मिली थी.प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसी दिन इरविन स्टेडयिम में  भारतीय तिरंगा फहराया था तथा सेना द्वारा की हुई परेड और तोपों की सलामी भी ली थी.इस परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने हिस्सा लिया था.तब से लगातार इस दिन भारतीय सेना के तीनों अंग नए-नए करतब दिखाकर अपनी कार्यक्षमता का परिचय देते हैं. राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसी दिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया.गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू हुई थी.1950 मे पहले मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो आए थे तो 2012 में मुख्य अतिथि के रूप में थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा शिरकत करेंगी.
26 जनवरी 1955 को पहली बार परेड राजपथ से होकर गुजरा था.,तब से लगातार परेड राजपथ से होकर गुजरता है. परेड की शुरूआत रायसीना हिल से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है.इसका रूट 8 किलोमीटर का है. सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण आज  राष्ट्रपति कार में सवार होती हैं जबकि पहले परेड में  राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद  बग्घी में सवार थे. गणतंत्र दिवस समारोह का आरंभ अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री द्वारा शहीदों की श्रदांजलि देने से  होता है तत्पश्चात शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है.इसके बाद प्रधानमंत्री इंडियागेट आते हैं जहाँ 21 तोपों की सलामी दी जाती है.राज्यों से आयी हुई झाँकियाँ सभी का मनमोह लेती हैं.इन झाँकियों में राज्यों में हुए विकास कार्य, संस्कृति और विविधता आदि को दिखाया जाता है.इस दिन वीरों को अशोक चक्र , कीर्ति चक्र, परमवीर चक्र, वीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.इस दिन 24 बच्चों को, जिनकी उम्र 16 साल से कम है को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिये गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाता है. सम्मान स्वरूप बच्चों को मेडल, प्रमाणपत्र और नकद राशि दी जाती है.
इस दिन पूरे भारतवर्ष में रंगारंग उत्सव मनाया जाता है. प्रत्येक राज्य में राज्यपाल तिरंगा फहराते है और परेड की सलामी लेते हैं.यह राष्ट्रीय उत्सव 3 दिनों तक चलता है.26 जनवरी के बाद 27 जनवरी को एन.सी.सी. कैडेट कई कार्यक्रम पेश करते हैं.अंतिम दिन 28 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी होती है जिसमें बैंड भी शामिल होता है.पूरी दुनिया में गणतंत्र दिवस क ऐसा विशाल उत्सव केवल भारत में ही दिखता है. जय हिंद ................... जय भारत.