26 जनवरी 1955 को पहली बार परेड राजपथ से होकर गुजरा था.,तब से लगातार परेड राजपथ से होकर गुजरता है. परेड की शुरूआत रायसीना हिल से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है.इसका रूट 8 किलोमीटर का है. सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण आज राष्ट्रपति कार में सवार होती हैं जबकि पहले परेड में राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बग्घी में सवार थे. गणतंत्र दिवस समारोह का आरंभ अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री द्वारा शहीदों की श्रदांजलि देने से होता है तत्पश्चात शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है.इसके बाद प्रधानमंत्री इंडियागेट आते हैं जहाँ 21 तोपों की सलामी दी जाती है.राज्यों से आयी हुई झाँकियाँ सभी का मनमोह लेती हैं.इन झाँकियों में राज्यों में हुए विकास कार्य, संस्कृति और विविधता आदि को दिखाया जाता है.इस दिन वीरों को अशोक चक्र , कीर्ति चक्र, परमवीर चक्र, वीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.इस दिन 24 बच्चों को, जिनकी उम्र 16 साल से कम है को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिये गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाता है. सम्मान स्वरूप बच्चों को मेडल, प्रमाणपत्र और नकद राशि दी जाती है.
इस दिन पूरे भारतवर्ष में रंगारंग उत्सव मनाया जाता है. प्रत्येक राज्य में राज्यपाल तिरंगा फहराते है और परेड की सलामी लेते हैं.यह राष्ट्रीय उत्सव 3 दिनों तक चलता है.26 जनवरी के बाद 27 जनवरी को एन.सी.सी. कैडेट कई कार्यक्रम पेश करते हैं.अंतिम दिन 28 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी होती है जिसमें बैंड भी शामिल होता है.पूरी दुनिया में गणतंत्र दिवस क ऐसा विशाल उत्सव केवल भारत में ही दिखता है. जय हिंद ................... जय भारत.
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