चेहरे को अपने
आईने में देखकर
हो गया भौचक्का
मुझे लगा ही नहीं
की यह मेरा चेहरा है
क्योकिं
इसमें तो मासूमियत और
मुस्कान बस्ती थी.
जो सभी को अपनी तुतुलाहट से
अपनी तरफ आकर्षित करती थी,
मेरी हर नासमझी पर माँ
प्यार से दुत्कारती थी.
मेरा मन कहने लगा कि मैंने,
अपने चेहरे को बिगाड़ लिया है,
नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैंने
अपने चेहरे को ख़राब नहीं किया
ऐसा काम तो समाज और
ख़राब समय ही कर सकता है
शायद इन्होने ही मेरे चेहरे पर
कुरूपता डाल दी है.
और यह निरंतर परिवर्तित होकर
भयानक हो गयी है
आईने में देखकर
हो गया भौचक्का
मुझे लगा ही नहीं
की यह मेरा चेहरा है
क्योकिं
इसमें तो मासूमियत और
मुस्कान बस्ती थी.
जो सभी को अपनी तुतुलाहट से
अपनी तरफ आकर्षित करती थी,
मेरी हर नासमझी पर माँ
प्यार से दुत्कारती थी.
मेरा मन कहने लगा कि मैंने,
अपने चेहरे को बिगाड़ लिया है,
नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैंने
अपने चेहरे को ख़राब नहीं किया
ऐसा काम तो समाज और
ख़राब समय ही कर सकता है
शायद इन्होने ही मेरे चेहरे पर
कुरूपता डाल दी है.
और यह निरंतर परिवर्तित होकर
भयानक हो गयी है
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