शनिवार, 4 सितंबर 2010

गुरू का सम्मान

हैं जीवन का आधार वो
करते हैं सब पर उपकार
है लेने का स्वार्थ ना उनमें
देने में हैं वो उदार
जीवन भर करते उपकार
हर रिश्ते नाते निभाते
सही राह वे हमें दिखाते
नयी उर्जा का सृजन कराते
हैं हर पथ पर हिम्मत बंधाते
ज्ञान के साथ जीना सिखाते
हर कठिनाइयों में साथ निभाते
गुरू होते हैं इतने महान
नहीं कर पायेंगे हम उनका
शब्दों में गुनगान
दुनिया में सबसे उंचा
है उनका स्थान
उनके बिना हैं हर कोई अज्ञान
उनके आदर्शो का हम रखें ध्यान
जिससे बना सकें हम
अपनी अलग पह्चान
सही अर्थों में यही है
गुरू का मान- सम्मान.

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