आधुनिक हिंदी कविता के
अग्रणी कवि या यूँ कहें कि कवियों के कवि शमशेर बहादुर सिंह की आज पुण्य तिथि है.12 मई 1993 को उनका देहांत अहमदाबाद
में हुआ था. लगभग 82 वर्ष के अपने जीवन काल में शमशेर ने 52 वर्ष तक निरंतर
साहित्य सेवा की और आधुनिक हिंदी कविता को
एक नए मुकाम तक लाने में अग्रणी भूमिका का
निर्वहण किया. उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं— कुछ कविताएँ, चुका भी हूँ नहीं मैं, इतने पास अपने, बात बोलेगी,काल तुझसे होड़ है मेरी आदि. शमशेर जी सच्चे कवि थे, अपनी शर्तों पर कवि थे. शायद इसी कारण वे किसी भी आलोचना
की परवाह नहीं करते और वहीं लिखते रहते जो वे अंदर से महसूस करते. जो उनका अनुभव था. जो उनका
अपना सौंदर्य बोध था, जो उनका जीवन विवेक था,उसे अत्यंत कलात्मक छवि के साथ सबके सामने लाते
रहे. वे प्रयोगवादी हैं,प्रगतिवादी हैं,रूपवादी हैं
या वस्तुवादी हैं इसकी चिंता उन्हें कभी नहीं रही वे तो बस लिखना जानते थे और वे
ताउम्र लिखते रहे. संगीत,कविता और चित्र शमशेर के भीतर एक दूसरे में समाए
हुए है:-
वह जो हमारे हृदय में बज रहा है
मैं उस साज में चाँद देखता हूँ
उसको पकड़ना चाहता रहा हूँ
मेरी इस चाह के अलावा
मैं कुछ नहीं, कुछ नहीं
(चुका भी ही नहीं मैं )
ऐसे महान कवि के पुण्य तिथि पर उन्हें भावाभिनी श्रद्धांजलि.....
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