शुक्रवार, 3 मई 2013

हिंदी सिनेमा के सौ वर्ष


आज का दिन हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम दिन है क्योंकि आज से ठीक सौ साल 3 मई 1913 को मुम्बई के गोरेगाँव में स्थित कोरेनेशन थियेटर में 40 मिनट की मूक फिल्म “राजा हरिश्चंद्र” का पहला प्रदर्शन हुआ था, जिसे देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. यह फिल्म धूंडीराज गोबिंद फाल्के अर्थात दादा साहब फाल्के ने बनाई थी.इस फिल्म का अधिकतर कार्य दादा साहब फाल्के ने ही किया था और आज रिलीज हो रही फिल्म "बाम्बे टॉकिज" जिसमें एक साथ चार कहानी और चार निर्देशक- करण जौहर, दिवाकर बनर्जी,जोया अख्तर और अनुराग कश्यप हैं. इस फिल्म का नाम 1930 के समय की मशहूर फिल्म कंपनी के नाम पर रखा गया है. 1930 के आस-पास एक साथ तीन कंपनियों ने फिल्म निर्माण में कदम रखा था.वे कंपनियाँ है--प्रभात टॉकीज, बाम्बे टॉकीज और न्यू थियेटर.न्यू थियेटर के बैनर तले बनी हुई फिल्म "देवदास" खूब चली.इस फिल्म का निर्माण पी. सी. बरूआ ने किया था.उसी समय बाम्बे टॉकीज के बैनर तले 1936 ई. में "अछूत कन्या"का निर्माण हुआ जिससे हिन्दी सिनेमा को एक नयी पहचान मिली.इस फिल्म की नायिका देविका रानी ने अछूत लड़्की का किरदार निभाया था और उनके साथ नायक के रूप में अशोक कुमार थे. इस त्रासदी फिल्म ने खूब लोकप्रियता हासिल की.आज रिलीज हुई 'बाम्बे टॉकीज' कितनी लोकप्रियता हासिल करती है यह तो पता नहीं लेकिन इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक साथ कई निर्देशकों के काम करने का नया ट्रेंड तो शुरू कर दिया है.हिंदी सिनेमा के सौ वर्ष सफलतापूर्वक पूरा होने पर इस क्षेत्र से जुड़े हुए सभी लोगों को अत्यधिक बधाईयाँ और आगे यह और कई नई बुलंदियों को छुएगी ऐसी आशा..................

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