रविवार, 6 सितंबर 2009

खुशी

जीवन की खुशी,
बड़ी सी खुशी,
जैसे ही हमारे जीवन में आई .
हमने उसका नाम भी रखा खुशी
वह अपने जीवन पथ पर
ज्यों -ज्यों आगे बढती गई
हमारे जीवन में भी
त्यों -त्यों खुशीया बढती गई.
जब उसने अपनी जबां से मुझे
पहली बार पापा कहा तो
मैं सोचने लगा की मैं अब बड़ा हो गया
अपने उतरदायित्व को समझना होगा .
अपने लीये न सही ,
अपनी खुशी के लीये कुछ करना होगा .
एक दीन ऐसा भी आया
जब हमारी खुशी कीसी और की
खुशी हो गई,
हमारी आँखे नम हो गई
सहसा फीर याद आया की
खुशी की खुशी में ही हमारी
खुशी है
उसके बाद हमारे चेहेरे पर
हलकी सी मुस्कान छा गई .

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